हिंदू धर्म में चार धाम की यात्रा का बहुत महत्व है। मान्यताओं के अनुसार, चारों धाम की यात्रा करने से मुक्ति मिलती है। इसलिए हर साल लाखों भक्त चार धाम की यात्रा पर निकल पड़ते हैं। चार धाम के दर्शन आमतौर पर गर्मियों में अप्रैल या मई में खुलते हैं और सर्दियों में अक्टूबर या नवंबर में बंद हो जाते हैं। चार धाम यात्रा का धार्मिक महत्व है, लेकिन इस यात्रा की सही जानकारी न होने के कारण अक्सर कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए आज के इस लेख में हम आपको चार धाम यात्रा से जुड़ी पूरी जानकारी बताएंगे। आप कैसे चार धाम यात्रा कर सकते हैं, चार धाम यात्रा का क्या महत्व है, कैसे चार धाम यात्रा पर जा सकते हैं, बजट में चार धाम यात्रा करने की जानकारी इत्यादि।
कौन से हैं चार धाम?
सबसे पहले बात यह आती है कि यह चार धाम कौन-कौन से हैं। हिंदू धर्म के अनुसार, दो तरह की चार धाम यात्रा की जाती है जिनमें पहला यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ है। दूसरी चार धाम यात्रा बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामेश्वर और द्वारका धाम है। इन चार धाम के दर्शन करने वालों को जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। ऐसे व्यक्ति को दोबारा मृत्यु लोक में जन्म नहीं लेना पड़ता, वो मोक्ष को प्राप्त हो जाता है।
गंगोत्री धाम: देवी गंगा का उद्गम स्थान
चार धाम यात्रा की शुरूआत उत्तराखंड में स्थित गंगोत्री धाम से होती है। गंगोत्री को गंगा नदी का उद्गम स्थान माना जाता है। मान्यता है कि गंगा की शुरूआत यही से हुई है। यहां पर मौजूद गोमुख गंगोत्री ग्लेशियर में भागीरथी नदी का स्रोत है, जो गंगा नदी के मुख्य धाराओं में से एक है। यहां से गंगा की धारा निकलकर कर देवप्रयाग के बाद अलकनंदा में मिलती है, इसलिए देवप्रयाग को संगम स्थल कहा जाता है, जो गंगोत्री ग्लेशियर में स्थापित है और गंगोत्री से 19 किलोमीटर का ट्रैक है। यहां आने वाले श्रद्धालु, भक्त देवप्रयाग में गंगा स्नान करते हैं और अपने पाप से मुक्ति पाते हैं। गंगोत्री में माता गंगा का प्राचीन मंदिर है। जहां हर रोज़ भव्य गंगा आरती होती है। यहां गंगा की पावन जलधारा की पूजा की जाती है। इसके साथ ही यहां आप अन्य धार्मिक स्थलों के भी दर्शन कर सकते हैं। जैसे भैरों घाटी, मुखबा गांव, हर्षिल, नंदनवन तपोवन, गंगोत्री चिरबासा और केदारताल मुख्य तीर्थस्थल आदि है।
कैसे पहुंचे गंगोत्री धाम?
गंगोत्री फ्लाइट से कैसे जाएं – अगर आप फ्लाइट से गंगोत्री जाने की प्लान कर रहे हैं तो गंगोत्री के सबसे पास उत्तराखंड के देहरादून में जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो उत्तरकाशी मुख्यालय से लगभग 200 किमी दूर है। देहरादून हवाई अड्डे से गंगोत्री तक टैक्सी तथा बस सेवाएँ उपलब्ध हैं। आप यहां से डायरेक्ट टैक्सी या बस लेकर सीधा गंगोत्री पहुंच सकते हैं।
गंगोत्री ट्रेन से कैसे जाएं – अगर आप ट्रेन से गंगोत्री आने का प्लान कर रहे हैं तो आप दिल्ली या अन्य शहर से सीधा ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून आ सकते हैं। इन सबमें सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो गंगोत्री से लगभग 100 किमी दूर है।
सड़क मार्ग से गंगोत्री कैसे जाएं – अगर आप सड़क से गंगोत्री जाने का प्लान कर रहे हैं तो आप दिल्ली से डायरेक्ट ऋषिकेश के लिए बस ले सकते हैं। यहां उतरकर आप प्राइवेट टैक्सी या दूसरी बस लेकर सीधा गंगोत्री धाम पहुंच सकते हैं।
यमुनोत्री धाम: यमुना नदी का है जन्म स्थान
चार धाम यात्रा में दूसरा मुख्य पवित्र स्थान यमुनोत्री है। यमुनोत्री को यमुना नदी का उद्गम स्थान माना जाता है। यही से यमुना नदी का जन्म हुआ है। यमुनोत्री उत्तराखंड राज्य के जिला उत्तरकाशी में गढ़वाल हिमालय में 10,804 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यमुनोत्री में पश्चिमीतम मंदिर है, जो बंदर पूंछ पर्वत की एक झुंड के ऊपर स्थित है। आप यहां आकर पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं। यहां यमुना नदी की भव्य आरती की आनंद ले सकते हैं। इसके साथ ही देवी यमुना के लिए समर्पित मंदिर और जानकीचट्टी में पवित्र तापीय झरना को भी देख सकते हैं। इसके पास ही भूगर्भ से उत्पन्न 90 डिग्री तक गर्म पानी के जल का कुंड स्थित है जिसे सूर्य-कुंड कहा जाता है और यहां ठन्डे पानी का कुंड भी है जिसे गौरी कुंड कहा जाता है। यह दोनों कुंड यहां के सबसे ज्यादा आकर्षण के केंद्र है।
कैसे पहुंचे यमुनोत्री धाम?
यमुनोत्री फ्लाइट से कैसे जाएं – यदि आप फ्लाइट से यमुनोत्री धाम जाने का प्लान कर रहे हैं तो इसके पास का सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो उत्तरकाशी मुख्यालय से लगभग 200 किमी दूर है। आप यहां से बस या टैक्सी लेकर सीधा यमुनोत्री तक पहुंच सकते हैं।
ट्रेन से कैसे जाएं यमुनोत्री- अगर आप ट्रेन से यमुनोत्री आने का प्लान कर रहे हैं तो आप दिल्ली या अन्य शहर से सीधा ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून आ सकते हैं। इन सबमें सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। ऋषिकेश स्टेशन से आपको आसानी से यमुनोत्री तक टैक्सी और बस की सेवा मिल जाएगी।
सड़क मार्ग से यमुनोत्री कैसे जाएं – अगर आप सड़क मार्ग से यमुनोत्री आने का प्लान कर रहे हैं तो आप दिल्ली या अन्य राज्यों से सीधा ऋषिकेश पहुंच सकते हैं। ऋषिकेश से उत्तरकाशी के लिए लगातार बसें और टैक्सी चलती हैं। आप बस या टैक्सी लेकर सीधा यमुनोत्री तक पहुंच सकते हैं।
केदारनाथ धाम: शिव की महिमा का स्थान
तीसरे धाम के रूप में केदारनाथ धाम आता है। केदारनाथ भगवान शिव का प्रमुख धाम है और यह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। केदारनाथ धाम समुद्र तल से 3,584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है जिसे पांडवों ने बनवाया था। यह धाम हिमालय के बीच स्थित है और इसे चार धाम यात्रा का सबसे कठिन हिस्सा माना जाता है। केदारनाथ धाम जाने के लिए गौरीकुंड से 16 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है। यह चढ़ाई पैदल या घोड़े/खच्चर के माध्यम से पूरी की जाती है।
कैसे पहुंचे केदारनाथ धाम?
केदारनाथ फ्लाइट से कैसे जाएं – केदारनाथ का सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो गौरीकुंड से लगभग 250 किमी दूर है। आप यहां से टैक्सी या बस लेकर गौरीकुंड पहुंच सकते हैं।
ट्रेन से कैसे जाएं केदारनाथ – केदारनाथ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो गौरीकुंड से लगभग 210 किमी दूर है। ऋषिकेश से गौरीकुंड तक बस और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है।
सड़क मार्ग से केदारनाथ कैसे जाएं – सड़क मार्ग से गौरीकुंड तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से ऋषिकेश के लिए बसें चलती हैं और ऋषिकेश से गौरीकुंड तक बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं। गौरीकुंड से आपको 16 किमी की चढ़ाई करनी होगी जो पैदल, घोड़े या खच्चर के माध्यम से पूरी की जा सकती है।
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बद्रीनाथ धाम: विष्णु का निवास
चौथा और अंतिम धाम बद्रीनाथ है, जो भगवान विष्णु का निवास माना जाता है। यह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है और समुद्र तल से 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बद्रीनाथ धाम का मंदिर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है और चार धामों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ भगवान विष्णु की पूजा बद्रीविशाल के रूप में की जाती है।
कैसे पहुंचे बद्रीनाथ धाम?
बद्रीनाथ फ्लाइट से कैसे जाएं – बद्रीनाथ का सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो बद्रीनाथ से लगभग 314 किमी दूर है। यहाँ से टैक्सी या बस द्वारा बद्रीनाथ पहुंचा जा सकता है।
ट्रेन से कैसे जाएं बद्रीनाथ – बद्रीनाथ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो बद्रीनाथ से लगभग 295 किमी दूर है। यहाँ से बस और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है।
सड़क मार्ग से बद्रीनाथ कैसे जाएं – दिल्ली से ऋषिकेश के लिए बसें चलती हैं और ऋषिकेश से बद्रीनाथ तक के लिए नियमित बसें और टैक्सी सेवाएँ उपलब्ध हैं।
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चार धाम यात्रा का बजट
चार धाम यात्रा का बजट कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे यात्रा का माध्यम, ठहरने की व्यवस्था, खाने-पीने का खर्च इत्यादि। यदि आप बजट में चार धाम यात्रा करना चाहते हैं, तो आप साझा टैक्सी, बस सेवा और धर्मशालाओं में ठहरने का विकल्प चुन सकते हैं। इसके अलावा, अग्रिम बुकिंग और यात्रा के लिए उचित योजना बनाने से भी खर्च को कम किया जा सकता है।
चार धाम यात्रा का रजिस्ट्रेशन कैसे करें?
चार धाम यात्रा पर जाने से पहले रजिस्ट्रेशन कराना बहुत ज़रूरी है। अगर आप चार धाम यात्रा पर जाने का प्लान कर रहे हैं तो रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को पूरी करें। चार धाम यात्रा के लि रजिस्ट्रेशन कराने के लिए उत्तराखंड टूरिज्म की ऑफिशियल वेबसाइट registrationandtouristcare.uk.gov.in पर क्लिक करके चार धाम यात्रा की वेबसाइट पर जाएं।
इसके बाद रजिस्टर या लॉगिन बटन पर क्लिक करके ज़रूरी जानकारी भरें और रजिस्ट्रेशन पूरा करें। इसके अलावा पर्यटन विभाग के टोल फ्री नंबर- 0135-1364 पर कॉल करके आप रजिस्ट्रेशन की सुविधा का फायदा ले सकते हैं। इसके साथ ही touristcareurttarakhand मोबाइल एप से भी रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है।
चार धाम यात्रा के दौरान किन बातों का रखें ध्यान
चार धाम यात्रा करते समय आपको कुछ अहम बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे आप भविष्य में होने वाली परेशानियों से बच सकते हैं।
मौसम के हिसाब से कपड़े रखें – चार धाम की यात्रा पर निकलने से पहले सर्दी, गर्मी और बरसात तीनों मौसम के कपड़े रखें क्योंकि यहां मौसम कब बदल जाता है कहा नहीं जा सकता।आप थर्मल्स, स्वेटर, जैकेट्स, रेन कोट्स, वॉटरप्रूफ बैग, पैंट्स और जैकेट्स, व कंफर्टेबल शूज़ इत्यादि ज़रूर रखें।
फर्स्ट एड किट रखें साथ – चार धाम यात्रा अक्सर लंबी होती है। ऐसे में बदलते मौसम के कारण कई बार सेहत को नुकसान पहुंत सकता है। इस यात्रा में चलना भी काफी पड़ता है। इसलिए अपने आप को शारीरिक रूप से फिट रखने के साथ-साथ फर्स्ट एड किट ज़रूर साथ रखें। यात्रा के दौरान छोटी-मोटी चोटें लग सकती हैं इसीलिए अपने साथ ज़रूरी दवाईयां, बैंडेड इत्यादि जरूर रखें।
आइडी और डॉक्यूमेंट्स – चार धाम की यात्रा पर आपसे जगह-जगह पर रजिस्ट्रेशन (Char Dham Registration) देखा जा सकता है। इसीलिए जरूरत के सभी डॉक्यूमेंट्स को साथ लेकर जाएं। अपने साथ वैलिड आइडी कार्ड लेकर जाएं जिसके बारे में गाइडलाइंस में लिखा हुआ हो। इसके अलावा, वैरिफिकेशन के लिए डॉक्यूमेंट्स की फोटोकॉपी साथ रखें।
खाने-पीने की चीजें साथ रखें- जैसा कि आप जानते है कि यह यात्रा लंबी होती है। ऐसे में शरीर में एनर्जी बनाए रखने के लिए हल्के-फुल्के हेल्दी स्नैक्स अपने साथ ज़रूर रखें और बीच-बीच में खाते रहें। साथ ही डिहाइड्रेशन से बचने के लिए पानी, एनर्जी ड्रिंक सूखे मेवे, एनर्जी बार, सूखे अंजीर,और फल आदि अपने साथ रखें।
टार्च इत्यादि रखें साथ- लंबी यात्राओं में सिर्फ फोन की टॉर्च पर निर्भर रहकर नहीं जाया जा सकता है। इसीलिए टॉच और मोमबत्ती साथ लेकर जाना ना भूलें। कई बार मोबाइल की बैटरी खत्म हो जाने से परेशानी हो सकती है। ऐसे में यह आपके काम आ सकते हैं।
शारीरिक रूप से फिट होने पर ही जाएं- चार धाम यात्रा एक कठिन यात्रा है, ऐसे में जाने से पहले ही अपने आपको स्वस्थ रखें। यहां पैदल चढ़ाई चढ़ते समय स्पीड सामान्य बनाए रखें और धीरे-धीरे आगे बढ़ें। चढ़ाई पर हमेशा नाक से ही गहरी सांस लें। चढ़ाई के दौरान हर एक घंटे बाद 5 से 10 मिनट का ब्रेक जरूर लें।
इन बातों का ध्यान रख आप अपनी चार धाम यात्रा को सफल बना सकते हैं। चार धाम यात्रा के साथ केदारनाथ और बद्रीनाथ यात्रा के बारे में अगर आप पूरी जानकारी चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
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