Kullu Mann Ghumakkad
Kullu Mann Ghumakkad

बात जब भी घूमने की आती है, तो कुल्लू-मनाली का नाम सबसे पहले आता है। कुल्लू और मनाली दो अलग-अलग पर्यटक स्थल हैं। मनाली जहां पर्यटकों के बीच में काफी पॉपुलर है, वहीं मनाली तक पहुंचने का रास्ता कुल्लू से ही होकर जाता है। व्यास नदी के किनारे बसा कुल्लू अपने आप में ही हिमाचल के एक फेमस पर्यटक स्थल यानी टूरिस्ट स्पॉट के रूप में उभरा है। कुल्लू में घूमने के लिए बहुत सारी जगह हैं। कुल्लू की प्राकृतिक भव्यता के कारण इसे देवताओं की भूमि भी कहा जाता है। चारों ओर फैली सुंदर हरियाली पर्यटकों का मन मोह लेती है। यहां एडवेंचर लवर्स के लिए पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग जैसे कई खेल भी खेले जाते हैं। इसलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको कुल्लू और इसके आस-पास की जगहों के बारे में बताएंगे कि आप कुल्लू कैसे जाएं, कुल्लू में कहां घूमें, कुल्लू में क्या खाएं इत्यादि।

1. बिजली महादेव मंदिर

कुल्लू में बिजली महादेव मंदिर हिंदुओं का प्राचीन मंदिर है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा की जाती है। मंदिर कुल्लू से 14 किमी दूर मथान पहाड़ पर स्थित है। दर्शन करने के लिए भारी संख्या में भक्त यहाँ आते हैं। मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण मंदिर की 100 मीटर लंबी झंडे की छड़ है। मान्यता है कि जब बादलों के गरजने से बिजली कड़कती है, तो जो तरंगे दिखाई देती हैं वह भगवान शिव का आशीर्वाद है। बिजली महादेव मंदिर भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में कुल्लू जिले के पास स्थित एक फेमस मंदिर है। यहाँ पहुंचने के लिए ट्रेकिंग करनी पड़ती है। इस मंदिर की ऊँचाई से व्यास नदी की घाटी और आसपास के हिमालय का सुंदर दृश्य आपका दिल जीत लेगा।

2. खीरगंगा

खीरगंगा खूबसूरत झरने के लिए जाना जाता है। ऊंचाई से गिरते पानी का अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है। शाम के वक्त सूरज ढलते ही खीरगंगा का परिदृश्य देखने लायक रहता है। खीरगंगा की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों का मन मोह लेती है। यह खूबसूरत स्थल कुल्लू से 21 किमी की दूरी पर है। खीरगंगा कुल्लू का एक और फेमस ट्रेकिंग पॉइंट है। यहाँ पर नैचुरल गर्म पानी का झरना आपका दिल जीत लेगा। इसके साथ ही यहां के हरे–भरे पेड़ और शांत वातावरण भीड़-भाड़ से दूर आपको अलग शांति देंगे। पार्वती वैली में बसा यह स्थान ट्रेकर्स और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग जैसा है। खीरगंगा पहुँचने के लिए बरशैणी गाँव से ट्रेकिंग शुरू करनी होती है। खीरगंगा के पीछे मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती ने यहाँ लंबे समय तक निवास किया था। यहाँ के गर्म पानी के झरने को लेकर भी कई धार्मिक कथाएँ प्रचलित हैं। इसके अलावा यहाँ एक छोटा सा बुद्ध मंदिर भी है, जो ट्रेकर्स के लिए ध्यान और शांति का स्थान है। आप यहाँ आकर प्रकृति के और करीब जा सकते हैं।

3. कैसरधर

कैसरधर कुल्लू जिले में स्थित एक और ऑफबीट प्लेस है, जो अपनी खूबसूरत घास के मैदानों और लुभावने पहाड़ों के लिए जाना जाता है। यह जगह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए भी फेमस है। ट्रेकिंग करने वालों के लिए यह एक पर्फेक्ट प्लेस है। कैसरधर कुल्लू से 14 किमी की दूरी पर खजियार नामक स्थान पर स्थित है। देवदार के ऊंचे पेड़ इस जगह को खास बनाते हैं। पहाड़ों पर पैदल सुंदरता को निहारते हुए ट्रेकिंग करने लायक सबसे खास पर्यटन स्थल है। यहाँ से चारों ओर के हिमालय की शानदार चोटियों और कुल्लू घाटी की घाटी हर किसी का दिल जीतने का दम रखती है। यह क्षेत्र हरे-भरे जंगलों और अलग-अलग तरह के वन्य जीवों के लिए भी जाना जाता है, जो नेचर लवर्स के लिए एक आकर्षण है। यह एरिया कुल्लू घाटी के स्थानीय देवताओं और उनकी पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। यहाँ विभिन्न त्यौहारों और धार्मिक आयोजनों के दौरान स्थानीय परंपराओं का आनंद लिया जा सकता है। यहाँ पर मौजूद कैसरधार मंदिर आसपास के ग्रामीणों के लिए एक धार्मिक स्थल है। कैसरधर एक शांत और ऑफबीट प्लेस है जो उन सभी के लिए आदर्श है जो भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति की गोद में कुछ समय बिताना चाहते हैं।

4. फ्रेंडशिप चोटी

फ्रेंडशिप चोटी कुल्लू में ट्रेकिंग करने के लिए बढ़िया जगह है। 5289 मीटर की ऊंचाई पर स्थित फ्रेंडशिप चोटी पर ट्रेकिंग करने के लिए स्पोर्ट्समैन बड़ी संख्या में आते हैं। साथ ही ट्रेकिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है। अपनी चुनौतीपूर्ण ट्रेकिंग रूट और बर्फ से ढके पहाड़ों के शानदार दृश्य के लिए फेमस, फ्रेंडशिप चोटी की यात्रा एडवेंचर लवर्स के लिए एक पर्फेक्ट प्लेस है। यहाँ पर घूमने के लिए पीर पंजाल रेंज है, जिसका एक सिरा कुल्लू तो एक मनाली को छूता है। फ्रेंडशिप चोटी, मनाली से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित है और यहाँ तक पहुँचने के लिए मनाली से ट्रेकिंग शुरू होती है। फ्रेंडशिप चोटी उन सभी एडवेंचर लवर्स के लिए एक आदर्श जगह है जो ऊँचाइयों को छूने और हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों के दृश्यों को देखना चाहते हैं।

5. कुल्लू का वैष्णो देवी मंदिर

कुल्लू का वैष्णो देवी मंदिर, जिसे अक्सर कुल्लू में वैष्णो माता मंदिर के नाम से जाना जाता है, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर, जम्मू और कश्मीर में स्थित प्रसिद्ध वैष्णो देवी मंदिर के समान है और श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। ब्यास नदी के किनारे स्थित मंदिर कुल्लू से 2 किमी की दूरी पर है। कुल्लू का वैष्णो देवी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक आध्यात्मिकता और आस्था का केंद्र भी है, जहाँ श्रद्धालु मन की शांति और देवी के आशीर्वाद के लिए आते हैं। इस मंदिर का निर्माण 1966 में स्थानीय संत स्वामी सेवा दास जी द्वारा किया गया था। इस मंदिर को बनाने का उद्देश्य भक्तों को वैष्णो देवी की पूजा का अवसर प्रदान करना था, जो जम्मू-कश्मीर स्थित मंदिर की यात्रा नहीं कर सकते। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में देवी वैष्णो देवी की मूर्ति स्थापित है, जहाँ श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं। इसके अलावा, यहाँ हनुमान जी, राम-सीता और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। यह मंदिर दिनभर खुला रहता है और यहाँ दर्शन का समय सुबह से शाम तक होता है। इसके अलावा आप यहाँ पास में मौजूद हनोगी माता मंदिर में भी दर्शन कर सकते हैं। मान्यता है कि जो भी मुराद इस मंदिर में मांगी जाती है वह पूर्ण जरूर होती है। माता के मंदिर से चारों ओर का सुंदर नजारा देखने को मिलता है।

6. कुल्लू शॉल फैक्ट्री

कुल्लू जिले में स्थित कुल्लू शॉल फैक्ट्री टूरिस्ट के बीच बहुत फेमस है। यहाँ आप डायरेक्ट फैक्ट्री से गर्म कपड़े और शॉल खरीद सकते हैं। यहाँ आप लाइव शॉल बनते हुए देख सकते हैं। शॉल बनाने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जिनमें हाथ से बुनाई और मशीन से बुनाई शामिल हैं। इसके अलावा, शॉल पर पारंपरिक हिमाचली डिज़ाइन और मोटिफ्स (पैटर्न) का इस्तेमाल किया जाता है, जो इन्हें बहुत खास बनाता है। यही नहीं, फैक्ट्री में काम करने वाले स्थानीय कारीगरों से मिलना और उनकी कहानियों को सुनना भी एक अनूठा अनुभव हो सकता है। कुल्लू शॉल फैक्ट्री न केवल हिमाचली संस्कृति और शिल्पकला का एक प्रतीक है, बल्कि यह एक स्थान है जहाँ पर्यटक हिमाचल प्रदेश के कारीगरों की मेहनत और उनकी कला को करीब से देख सकते हैं।

7. कुल्लू में एडवेंचर एक्टिविटीज़

कुल्लू को न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि यह एडवेंचर एक्टिविटीज़ के लिए भी फेमस स्पॉट है। कुल्लू की हरी-भरी घाटियाँ, ऊँची चोटियाँ, और बहती नदियाँ एक विविध और रोमांचक अनुभव प्रदान करती हैं। यहाँ आप ब्यास नदी में रिवर राफ्टिंग का मज़ा ले सकते हैं, जिसमें करीब 14 किलोमीटर का सफर तय किया जाता है। इसके अलावा आप यहाँ से ट्रेकिंग भी कर सकते हैं। यहाँ ट्रेकिंग करने के लिए कई ट्रेकिंग पॉइंट हैं, जैसे बृघु लेक ट्रेक, हमटा पास ट्रेक, सर पास ट्रेक इत्यादि। यह ट्रेक्स ट्रेकिंग के शौकीनों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। साथ ही आप यहाँ पैराग्लाइडिंग का मज़ा ले सकते हैं। कुल्लू पैराग्लाइडिंग के लिए बहुत फेमस है। यहाँ सोलंग नाला और ढूंगरी से पैराग्लाइडिंग कर सकते हैं। यह आपको 3 से 5 हजार के बीच में मिल जाएंगे। अगर आप ऑफ सीजन में जाते हैं, तो आप और कम पैसों में भी पैराग्लाइडिंग कर सकते हैं। इसके अलावा यहाँ रॉक क्लाइम्बिंग, रैपलिंग और कैंपिंग का भी आप आनंद ले सकते हैं। यहाँ ब्यास नदी की तेज धाराओं में राफ्टिंग हो, ऊँचाइयों से पैराग्लाइडिंग हो, या बर्फीली ढलानों पर स्कीइंग हो, कुल्लू हर प्रकार के साहसिक यात्रा के शौकीनों के लिए कुछ न कुछ खास पेश करता है। आप यहाँ आकर इन खेलों का आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा आप कुल्लू में देव टिब्बा, चंद्रखानी पास, सुल्तानपुर पैलेस, भृगु झील, नग्गर इत्यादि देख सकते हैं। साथ में आप कसौल और मनाली की भी सैर कर सकते हैं।

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कुल्लू घूमने का बेस्ट मौसम

कुल्लू की वादियों में दिन बिताने के लिए सबसे अच्छा मौसम फरवरी से जून तक का रहता है। उत्तर भारत में फरवरी से जून तक महीना गर्मियों वाला रहता है। वही इस मौसम में कुल्लू का वातावरण ठंडा और सुकूनदायक रहता है। गर्मियों की छुट्टियों में कुल्लू घूमने के लिए एक अच्छा विकल्प है। यदि आप कुल्लू में गिरती बर्फबारी को देखना चाहते हैं, तो सर्दियों के महीने दिसंबर या जनवरी के बीच घूमने के लिए जा सकते हैं। वही मानसून सीजन में कुल्लू में काफी बारिश होती है, जिस कारण जगह-जगह पर लैंडस्लाइड की संभावना रहती है, जिससे रोड बंद हो जाते हैं। इसलिए बरसात के समय कुल्लू घूमने के लिए सही नहीं है।

कुल्लू के फेमस फूड

कुल्लू अपनी विशेष हिमाचली खाने के लिए भी फेमस है। यहाँ के खानपान में स्थानीय संस्कृति और पारंपरिक स्वाद का अद्भुत संगम मिलता है। यहाँ पर जगह-जगह पर फेमस सिद्दू का स्वाद चख सकते हैं। सिद्दू एक पारंपरिक हिमाचली डिश है जिसे गेहूँ के आटे से बनाया जाता है। इसे खासतौर पर भाप में पकाया जाता है, जिससे यह नरम और स्वादिष्ट बनता है। इसके अलावा आप धाम, जो हिमाचल का एक पारंपरिक भोज है, जो विशेष अवसरों और त्योहारों पर परोसा जाता है, का भी आनंद ले सकते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार की दालें, चावल, करी और मीठे व्यंजन शामिल होते हैं। आप हिमाचली कढ़ी का भी स्वाद चख सकते हैं। इसके अलावा यहाँ स्ट्रीट पर मिलने वाले मोमोस को तो आप ज़रूर ट्राय करें। साथ ही आप राजमा चावल, चाना मद्रा इत्यादि हिमाचली खाने का लुत्फ उठा सकते हैं।

कुल्लू कैसे पहुंचे?

ट्रेन से कुल्लू कैसे पहुंचे: कुल्लू ट्रेन द्वारा पहुंचने के कई रास्ते हैं। कुल्लू के नजदीक पठानकोट, चंडीगढ़ और कालका रेलवे स्टेशन उपलब्ध हैं। अपने शहर से सुविधाजनक रेलवे स्टेशन पहुंचकर सड़क मार्ग द्वारा आसानी से कुल्लू तक पहुंच सकते हैं। दिल्ली से चंडीगढ़ आकर वहां से बस ले सकते हैं।

बस से कुल्लू: कुल्लू आने का बेस्ट तरीका सड़क मार्ग ही है। यहाँ के लिए लगभग सभी शहरों से बसें हैं। फिर भी चंडीगढ़ और दिल्ली से आपको आसानी से डायरेक्ट बस मिल जाएगी।

फ्लाइट से कुल्लू: फ्लाइट से कुल्लू पहुंचने के लिए सबसे नजदीक हवाई अड्डा कुल्लू से 10 किमी दूर भुंतर है। दिल्ली से यहाँ रोजाना घरेलू उड़ान मिलती है। आप यहाँ से डायरेक्ट आ सकते हैं।

कुल्लू आने से पहले इन बातों का रखें ख्याल

फिटनेस और तैयारी: कुल्लू में अगर आप ट्रेकिंग करने आ रहे हैं, तो ट्रेक के लिए सामान्य फिटनेस की ज़रूरत होती है। ट्रेकिंग के दौरान आरामदायक और मजबूत जूते पहनना चाहिए।

मौसम के अनुसार कपड़े: कुल्लू में वैसे तो मौसम ठंडा रहता है, लेकिन बारिश की भी संभावना रहती है। इसलिए गर्म कपड़े और रेनकोट साथ में जरूर रखें।

खाना और पानी: ट्रेक के दौरान अपने साथ पर्याप्त पानी और हल्का भोजन ले जाना चाहिए। हालांकि रास्ते में खाने-पीने के स्टॉल भी होते हैं। कुल्लू में वैसे तो कई रेस्टोरेंट हैं, लेकिन अगर आप ट्रेकिंग कर रहे हैं तो अपने साथ हल्का-फुल्का खाने का सामान ज़रूर रखें।

इन बातों का ध्यान रखकर आप अपनी कुल्लू की यात्रा को यादगार बना सकते हैं। इसके साथ ही अन्य जगहों के बारे में जानने के लिए मन घुमक्कड़ को फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर फॉलो करें।

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