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राम मंदिर Image Source: Social Media

“राम नाम की लूट है लूट सको तो लूट, अंत समय पछताओगे जब प्राण जाएंगे छूट”।

राम केवल हिंदूओं के देवता मात्र नहीं हैं बल्कि सर्व धर्म समभाव के प्रतीक हैं। आज  राम नाम की गूंज अयोध्या में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में गूंज रही है। हर ओर एक ही नाम का जयघोष हो रहा है। जय श्रीराम का नाम। हालांकि इस पावन बेला के लिए कई बरसों का लंबा इंतज़ार भी करना पड़ा है। जिसके बाद आखिरकार 22 जनवरी को वो दिन आ ही गया जब श्री राम लला अपने घर में विराजमान हो गये। भगवान राम (Ram) के बालस्वरूप की स्थापना 22 जनवरी को अयोध्या (Ayodhya) में की गई है। जिसके बाद अयोध्या की धरती धन्य-धन्य हो गई है। आज उत्तर प्रदेश का यह जिला विश्वविख्यात हो चुका है जिसकी वजह भी भगवान राम ही हैं।

अयोध्या (Ayodhya) नगरी का इतिहास भगवान राम के समय का है। रामचरित मानस के अनुसार यही पर भगवान का जन्म हुआ था। यहीं उनका पालन-पोषण हुआ,यहीं उन्होंने वनवास के बाद राज किया। यहीं सरयू नदी में उन्होंने जल समाधी ली।  अयोध्या शुरू से ही धर्म की नगरी रही है।

अध्यात्म वाली अयोध्या का इतिहास

इतिहासकारों का मानना है कि अयोध्या 3000 साल से भी पुरानी वहीं वैदिक जानकारों का कहना है कि भगवान राम का जन्म ही त्रेतायुग के शुरूआत में अयोध्या में हुआ था।

वेद-पुराण, उपनिषद और वाल्मीकि रामायण में भी अयोध्या का जिक्र किया गया है। जिसके अनुसार इसकी उम्र का पता लगा पाना ही असंभव है। भगवान राम को विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। वेद-पुराणों के अनुसार बुराई का अंत करने के लिए भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में राजा दशरथ के घर जन्म लिया था।

प्राचीन काल में अयोध्या को अवध भी कहा जाता रहा है। हिन्दू धर्म ग्रंथों में वर्णित है, ‘वध जिसका कोई न कर पाया, अवधपुरी सार्थक नाम उसने पाया’। ऋषि वाल्मीकि द्वारा लिखित महाकाव्य रामायण, भगवान राम के जन्म और राक्षसों के राजा रावण को हराने की उनकी यात्रा की कहानी बताती है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम के जन्म स्थान पर एक मंदिर था। किंतु भगवान राम के जल समाधि लेने के बाद अयोध्या सूनी और उजाड़ हो गई थी।

वहीं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य जब यहां आए तो उन्हें उजाड़ भूमि पर कुछ चमत्कार दिखाई देने लगे, जब उन्होंने पता लगाया तो उन्हें यह श्रीराम की अवध भूमि के बारे में पता चला। इसके बाद उन्होंने यहां श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण कराया। लेकिन फिर बाद में मंदिर को विदेशी आक्रमणकारियों ने नष्ट कर दिया था।

आखिरकार लंबे इंतज़ार और जद्दोजहद के बाद 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली। मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश दिया गया। जिसके बाद  5 अगस्त 2020, राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम शुरू किया गया और आखिरकार 22 जनवरी को एक बार फिर भगवान श्री राम की स्थापना अयोध्या की पवित्र भूमि पर की जाएगी।

अयोध्या मंदिर की क्या है ख़ासियत

इतिहास से हटकर यदि आज की बात की जाए तो भगवान श्री राम के लिए बनने वाले आयोध्या का मंदिर अपने आप में बेहद ख़ास और अनूठा है। अयोध्या राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) का निर्माण 2020 में शुरू हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और अन्य गणमान्य लोगों ने शिरकत की। अयोध्या के मंदिर का निर्माण करने वाले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार मंदिर वास्तुकला की पारंपरिक नागर शैली में बनाया जा रहा है और यह दुनिया के सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में से एक है।

  • इसके मुख्य गर्भगृह में श्री रामलला की मूर्ति है और पहली मंजिल पर श्री राम दरबार है।
  • भगवान राम के इस मंदिर में कुल 392 स्तंभ और 44 दरवाजे हैं। तीन मंजिला राम मंदिर पारंपरिक नागर शैली में बनाया गया है और इसकी लंबाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फीट, 250 फीट की चौड़ाई और 161 फीट की ऊंचाई है। मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची है। 
  • यही नहीं इस मंदिर परिसर में एक संग्रहालय, एक शोध केंद्र और अन्य सुविधाएं का भी प्रबंधन किया जाएगा
  • इसके अलावा मंदिर में 5 मंडप होंगे जिनमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप शामिल है।
  • राम मंदिर में लगे खंभों और दीवारों में देवी-देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं। जिससे हिंदू संस्कृति और देवी-देवताओं के बारे में लोगों को बताया जाएगा।
  • दिव्यांगजन और वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था की जाएगी।
  • मंदिर के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण किया जा रहा है। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा तो वहीं दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर भी बन रहा है।
  • यही नहीं यहां सीताकूप महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित मंदिरों को निर्णाण भी किया जा रहा है।
  • साथ ही यहां रामायण में अहम भूमिका निभाने वाले पक्षीराज जटायु की प्रतिमा का अनावरण भी किया गया है। जो अपने आप में एक विशाल प्रतिमा है।

अयोध्या राम सिर्फ एक मंदिर नहीं है, यह भारत के जटिल इतिहास और इसकी विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यह अपने आप कई विशेषताओं और इतिहास को समेटे हुए है। मंदिर का निर्माण दशकों से चली आ रही कानूनी और राजनीतिक लड़ाई का जहां अंत हैं। वही एक नए धार्मिक के युग की शुरुआत का भी प्रतीक है। आखिरकार बरसों के इंतज़ार के बाद रामलला अपने घर में जो विराजमान हो रहे हैं।

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