Badrinath Dam Mann Ghumakkad
Badrinath Dam Mann Ghumakkad

हजारों श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी है! बद्रीनाथ धाम के कपाट भक्तों के लिए खुल चुके हैं! हिमालय की ऊंची चोटियों से घिरे और अलकनंदा नदी के तट पर स्थित, बद्रीनाथ धाम का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां भगवान विष्णु के दर्शन के लिए आते हैं।

बद्रीनाथ धाम हिंदुओं के चार धामों में से एक महत्वपूर्ण धाम है। यह पवित्र स्थल भगवान विष्णु के चतुर्थ अवतार नर और नारायण की तपोभूमि है। इस धाम के बारे में एक प्रसिद्ध कहावत है: “जो जाए बद्री, वो न आए ओदरी”! इसका अर्थ है कि जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन करता है, उसे पुनर्जन्म नहीं लेना पड़ता।

यदि आप भी बद्रीनाथ यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए उपयोगी होगा। इसमें बद्रीनाथ यात्रा करने का तरीका, यात्रा का उपयुक्त समय, यात्रा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें और यात्रा का बजट शामिल है।

बद्रीनाथ धाम: भगवान विष्णु का पवित्र निवास

बद्रीनाथ को भगवान विष्णु का दूसरा निवास स्थान भी कहा जाता है। मान्यता है कि सतयुग तक यहां भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन सभी भक्तों को हुआ करते थे। वहीं, त्रेतायुग में यहां केवल देवताओं और साधुओं को ही भगवान के साक्षात दर्शन होते थे। लेकिन, त्रेतायुग से भगवान ने यह नियम बना दिया कि अब से यहां देवताओं के अलावा अन्य सभी को दर्शन मिलेंगे। यहां के बारे में यह भी मान्यता है कि यहां गर्मियों में 6 महीने मनुष्य और सर्दियों में 6 महीने देवता भगवान की पूजा करते हैं।

बद्रीनाथ यात्रा का सर्वोत्तम समय

बद्रीनाथ जाने का सबसे उपयुक्त समय सितंबर से अक्टूबर का है। मई की शुरुआत में इसके कपाट खुल जाते हैं, लेकिन इस समय सबसे ज्यादा भीड़ होती है। वहीं, नवंबर में सर्दियों के कारण 6 महीने के लिए बद्रीनाथ के कपाट बंद हो जाते हैं। इसलिए गर्मी का मौसम इस जगह की यात्रा के लिए उपयुक्त है।

यात्रा करने जा रहे हैं, तो बस इस बात का ध्यान रखें कि आप उसी मौसम के हिसाब से कपड़े जरूर लेकर जाएं।

बद्रीनाथ धाम तक पहुंचने के विभिन्न मार्ग

बद्रीनाथ की यात्रा के लिए हर शहर से मार्ग तो है, लेकिन आप सीधे ट्रेन या फ्लाइट से यहां नहीं पहुंच सकते। इसके लिए आपको दिल्ली या किसी अन्य शहर से हरिद्वार होते हुए जोशीमठ तक पहुंचना होगा। इसके बाद बद्रीनाथ के लिए आप टैक्सी या बस ले सकते हैं।

  • फ्लाइट से बद्रीनाथ यात्रा: यदि आप फ्लाइट से यात्रा करने का प्लान कर रहे हैं, तो आपको अपना बजट बढ़ाना होगा। उत्तराखंड का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा बद्रीनाथ का निकटतम हवाई अड्डा है, जो 314 किमी की दूरी पर स्थित है। आप दिल्ली से सीधे जॉली ग्रांट एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट ले सकते हैं। फिर आप जॉली ग्रांट एयरपोर्ट से सीधी बद्रीनाथ के लिए टैक्सी ले सकते हैं।
  • रेल से बद्रीनाथ यात्रा: आप रेल से बद्रीनाथ यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो आप दिल्ली या अन्य शहर से सीधे निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश पहुंच सकते हैं। ऋषिकेश रेलवे स्टेशन बद्रीनाथ से 295 किमी पहले स्थित है और यह पूरी तरह से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। आप यहां से श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, चमोली, जोशीमठ और कई अन्य जगहों से
  • सड़क मार्ग से बद्रीनाथ यात्रा: बद्रीनाथ यात्रा का सबसे लोकप्रिय तरीका सड़क मार्ग से जाना है। आप हरिद्वार से यात्रा शुरू कर सकते हैं, जो बद्रीनाथ का प्रवेश द्वार है। हरिद्वार से बद्रीनाथ तक की दूरी लगभग 310 किमी है। यात्रा के दौरान आप रुद्रप्रयाग, गup्तकाशी, पोखरी और मन गांव जैसे खूबसूरत स्थानों को देख सकते हैं। ऋषिकेश से भी आप सड़क मार्ग से बद्रीनाथ जा सकते हैं।

ध्यान दें कि पहाड़ी इलाकों का रास्ता होने के कारण सड़कें संकरी और घुमावदार हो सकती हैं। यात्रा के दौरान अपनी गति सीमा का ध्यान रखें और सावधानी से ड्राइव करें।

बद्रीनाथ यात्रा के दौरान ध्यान देने योग्य बातें!

  • बद्रीनाथ की यात्रा के लिए शारीरिक रूप से फिट होना आवश्यक है। पहाड़ी क्षेत्र में स्थित होने के कारण यहां का वातावरण मैदानी इलाकों से अलग होता है।
  • सर्दियों में ठंड बहुत पड़ती है, इसलिए गर्म कपड़े साथ रखें। वहीं, गर्मियों में भी रात के समय तापमान कम हो जाता है।
  • बद्रीनाथ धाम में मोबाइल नेटवर्क सीमित है, इसलिए जरूरी फोन कॉल के लिए पहले से तैयारी कर लें।
  • बद्रीनाथ धाम में रहने के लिए कई धर्मशालाएं और होटल उपलब्ध हैं। अपनी यात्रा के बजट के अनुसार पहले से ही रहने का इंतजाम कर लें।
  • बद्रीनाथ धाम की यात्रा के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखें। प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करें और साथ लाए गए कचरे को अपने साथ वापस ले जाएं।

केदारनाथ से बद्रीनाथ कैसे जाएं?

अगर आप सीधा केदारनाथ से बद्रीनाथ जाना चाहते हैं तो इसके बीच की दूरी 245 किलोमीटर है। केदारनाथ से बद्रीनाथ जाने के लिए आपको पहले गौरीकुंड आना होगा। केदारनाथ से गौरीकुंड के लिए 18 किलोमीटर का ट्रैक करना पड़ेगा। यहां से पांच किलोमीटर की दूरी पर सोनप्रयाग स्थित है। यहां से बद्रीनाथ के लिए लगभग 221 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। इस दूरी को तय करने में आपको 7 से 8 घंटे का समय लग सकता है। वैसे भी केदारनाथ की यात्रा करने के बाद बद्रीनाथ की यात्रा करना ज़रूरी होता है।

केदारनाथ यात्रा की पूरी जानकारी पाने के लिए यहां क्लिक करें –

बद्रीनाथ धाम के लिए ज़रूर कराएं ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन

बद्रीनाथ जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना बहुत ज़रूरी है। इसके लिए आपको अपने निजी डॉक्यूमेंट्स जैसे आधार कार्ड/ पैन कार्ड/ ड्राइविंग लाइसेंस/वोटर आईडी कार्ड के साथ उत्तराखंड टूरिज्म की ऑफिशियल वेबसाइट registrationandtouristcare.uk.gov.in पर क्लिक करके रजिस्ट्रेशन करना होगा। रजिस्ट्रेशन पूरा होने के बाद आपके पास एक यूनीक रजिस्ट्रेशन नंबर आपके आएगा जिससे आप आसानी से अपना रजिस्ट्रेशन फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं।

बद्रीनाथ यात्रा में किन बातों का रखें विशेष ध्यान?

बद्रीनाथ यात्रा पर जाने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आप पूरी तरह से स्वस्थ है। अगर आप सीधा केदारनाथ के बाद बद्रीनाथ जा रहे हैं तो अपनी हेल्थ चेक कर ले कि आप यात्रा करने के लिए मजबूत है या नहीं।

केदारनाथ से बद्रीनाथ जाने के लिए होटल और बस की एडवांस बुकिंग पहले से ही कर लें क्योंकि पीक सीजन में यहां बहुत भीड़ होती है। ऐसे में रूकने के लिए होटल का मिलना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए इसकी तैयारी पहले ही कर लें।

अगर आप केदारनाथ से बद्रीनाथ जा रहे हैं तो वापसी के वक्त सोनप्रयाग आने पर यदि आपको बद्रीनाथ के लिए कोई बस नहीं मिलती है तो आप परेशान ना हों और ऐसे में आप रुद्रप्रयाग आ सकते हैं। रुद्रप्रयाग में रुकने की काफी व्यवस्था है और रुद्रप्रयाग से बद्रीनाथ या जोशीमठ के लिए बस व शेयरिंग टैक्सी शाम को तीन चार बजे तक आराम से मिल जाती है।

इन बातों का ध्यान रख आप अपनी बद्रीनाथ की यात्रा को सफल बना सकते हैं। इसके साथ ही आप केदारनाथ और चार धाम की यात्रा भी कर सकते हैं। चार धाम यात्रा की पूरा जानकारी पाने के लिए यहां क्लिक करें। साथ ही अगर आप बद्रीनाथ जा रहे हैं तो माणा गांव भी ज़रूर जाएं यह भारत का आखिरी गांव है। माणा गांव की पूरा जानकारी पाने के लिए यहां क्लिक करें।

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